मुसलमान का अपना दुश्मन खुद मुसलमान है....केसे देखे मे बताता हु
इन बातों को पढे और खुद फैसला करे...।
1.हमारे मुहल्ले की छोटी सी मस्जिद की कमेटी से लेकर राज्य की हज
कमेटी तक मे मुस्लिम्स के अंदर न इत्तेफाकी आम बात है...यानि मिल
कर कोई काम करेंगे ही नही...
2.ज्यादातर जीतने भी मुस्लिम्स जिनहे अल्लाह ने खूब मालों दौलत से
नवाजा है उनकी यहा की शादिया इस क़दर खर्चीली होती है की उतने
पेसो मे कई गरीब मुस्लिम बहनों का निकाह हो सकता है..।
3.जिसे देखो अपने बच्चे की स्कूल फीस,ट्यूशन फीस,बस
किराया,कापी किताब,ड्रेस,जेस ी चीज़ों मे खर्च करने मे कोई बढ़ी बात
नही है..लेकिन एक आलिम या हाफिज़े कुरान जो 100 से 200 रुपए
महीने मे घर आकर आपके बच्चो को दीनी तालीम दे सकता है वो सब
को भारी लगता है....।
4.उधार लिया है तो चुकाने मे इतनी इतनी ताखीर कर दी जाती है
की बाद मे वो पेसा देने वाले के काम का नही रेह जाता..।
5.दौलत और जायेदाद के लिए सगे भाई,या सगे भाई
बहन,चाचा भतीजे,यहा तक की बाप बेटे तक मे लड़ाई देखने को मिल
रही है...।
6.अगर किसी सुबाह क्रिकेट खेलना हो तो उठ कर तैयार लेकिन फ़जर
के लिए फुस्स...।
7.बिजली चोरी भी आम है...मेने खुद कई मुस्लिम घर देखे है
जहा धड़ल्ले से बिजली चोरी की जा रही है..।
8.एक दूसरे की टांग खींचने मे हमे महारत हासिल है...ये
ऐसा वो ऐसा...बस यही काम है
9.ब मुश्किल हफ्ते मे एक बार जुमे को मस्जिद आते है और उनमे से
आधे बिना सुन्नत पढे ही ऐसे भागते है जेसे शायद उन्हे पकड़ कर क़ैद
कर दिया जाएगा...।
10.हमारे मुहल्ले की ज्यादातर इमाम इलाक़े के अमीर आदमी कौन कौन
है सब को जानते है लेकिन गरीब आदमी कौन है इसके लिए टाइम
नही है...जबकि इमाम का काम है की सर झुका कर मस्जिद जाये और
सर झुका कर वापस अपने हुजरे मे आ जाए..।
11.पड़ोसी के यहा कुछ नयी चीज़ आ गयी तो हमे जलस
होती है...बहुत आम है ये भी
12.झूठ!!!!! खुदारा खुदारा इस क़दर ज़बान पर होता है की शायद
ही कोई बात सच हो..।
13.माँ बाप बुलाये तो अनाकानी लेकिन लड़की या बीवी बुलाये
तो फौरन हाजिर...।
14.मे ऐसा मेरे पास ये है मेरे पास वो है...मेरे जूते इतने के
है...मेरी कार इसमे की है...हर कोई दिखावा दिखावा और बस
दिखावा..।
15.मुस्लिम लड़को के हाथ मे
आपको कडा मिलेगा...नाड़ा मिलेगा...कान मे बाली मिलेगी...और
तो और कभी कभी तो ऐसे लिबास पहने देखा हु की यकीन
करना मुश्किल होता है की मर्दाना है या ज़नाना???
16.हमारे 15-16 साल के ज्यादातर लड़के कुरान पढे हो या न हो कोई
सूरत याद हो या न हो लेकिन गंदी फिल्मे इस उम्र तक देख चुके होते है
और गाने भी याद हो चुके होते है...क्या ये आने वाली मुस्लिम
पीढ़ी है????
और भी सेकड़ों खामिया है आज हम मे....जो क़ौम पहले
दुनिया की तमाम क़ौमों की सरदार थी आज बदहाल
होती जा रही है....क्यू??? सिर्फ अल्लाह और उसके रसूल से
दूरी इसकी वजाह है.
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